तरावीह की दुआ: एक मुकम्मल गाइड
Taraweeh ki dua in hindi
रमज़ान-उल-मुबारक का महीना इस्लामी कैलेंडर का सबसे बरकत वाला महीना है। इस महीने में मुसलमान पूरे शौक और लगन के साथ इबादत करते हैं। तरावीह का सिलसिला रमज़ान की एक खास निशानी है। लेकिन अक्सर लोग तरावीह की दुआ के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते। इस ब्लॉग में हम taraweeh ki dua, उसकी अहमियत और उससे जुड़े सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।
तरावीह क्या है?
तरावीह एक नफ़ली इबादत है जो रमज़ान के महीने में ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है। यह नमाज़ रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत है और इसे अल्लाह की रहमत और मग़फिरत का ज़रिया माना जाता है।
इसका असल मकसद अल्लाह के कलाम को समझना, कुरआन की तिलावत करना और अपने गुनाहों की माफी तलाश करना है। तरावीह में हमेशा एक अजीब सुकून और बरकत का एहसास होता है।
तरावीह की दुआ
तरावीह की नमाज़ के लिए एक खास दुआ होती है जो हर चार रकअत के बाद पढ़ी जाती है। इस दुआ का मत्न यह है:
Taraweeh ki dua |
“सुभाना धिल मुल्कि वल मलाकूत, सुभाना धिल इज़्ज़ति वल अज़्मति वल हैबति वल कुद्रति वल सुल्तान, वल किब्रिया’इ वल जबरूत। सुभान-ल-मलिकिल-हय्यिल-लज़ी ला यनामु वला यमूत, सुभ्बुहुन क़ुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल-मलाइकति वर-रूह। अल्लाहुम्म अजिरना मिनन्नार। या मुजीर, या मुजीर, या मुजीर।”
इस दुआ का तर्जुमा कुछ इस तरह है:
“पाक है वह ज़ात जो मुल्क और मलाकूत का मालिक है, जो इज़्ज़त, अज़मत, हैबत, कुदरत और सल्तनत का मालिक है। पाक है वह मालिक जो हमेशा ज़िंदा है, जो न सोता है न मरता है। हमारा रब और फरिश्तों का रब पाक है। अल्लाह हमें दोज़ख़ की आग से बचा ले। ऐ बचाने वाले, ऐ बचाने वाले, ऐ बचाने वाले!”
तरावीह की दुआ की अहमियत
तरावीह की दुआ सिर्फ चंद अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि इसमें एक गहरा पैगाम छुपा है। इस दुआ के जरिए हम अल्लाह की शान का इज़हार करते हैं और उसकी रहमत और मग़फिरत के लिए अपनी तलब का इज़हार करते हैं।
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इबादत का असल मकसद: इस दुआ के जरिए हम अपने रब की तारीफ करते हैं और उसके हुज़ूर अपनी कमजोरी का इज़हार करते हैं।
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मग़फिरत का ज़रिया: रमज़ान मग़फिरत का महीना है, और तरावीह की दुआ हमारे गुनाहों को माफ करवाने का एक अहम ज़रिया है।
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दिल को तसल्ली: इस दुआ के अल्फ़ाज़ इंसान के दिल को तसल्ली और सुकून देते हैं।
तरावीह की दुआ का वज़ीफ़ा
अक्सर लोग यह सवाल करते हैं कि क्या तरावीह की दुआ का वज़ीफ़ा है? तो इसका जवाब है, हां! अगर आप इस दुआ को दिल से पढ़ें और अपने रब से मांगने का जज़्बा रखें, तो यह दुआ असर रखती है।
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गुनाहों की माफी: हर चार रकअत के बाद तरावीह की दुआ पढ़ने से अल्लाह से अपनी मग़फिरत की तलब करते हैं।
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रहमत और बरकत: यह दुआ इंसान के दिल को अल्लाह की रहमत और बरकत से भर देती है।
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दोज़ख़ से निजात: दुआ का सबसे बड़ा मकसद दोज़ख़ की आग से बचने की दरख्वास्त है।
तरावीह की नमाज़ का तरीका
तरावीह की नमाज़ का एक खास तरीका होता है जो सुन्नत पर आधारित है। आइए इसका मुख़्तसर बयान करते हैं:
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नियत: पहले नियत करें कि आप अल्लाह की रज़ा के लिए तरावीह की नमाज़ अदा कर रहे हैं।
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रकअत का तज़किरा: तरावीह 8 या 20 रकअत होती है, जो आपकी सहूलत और मस्लक पर आधारित है।
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हर 2 रकअत के बाद सलाम: हर 2 रकअत के बाद सलाम फेरें और फिर अगले 2 रकअत शुरू करें।
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दुआ: हर चार रकअत के बाद तरावीह की दुआ पढ़ें।
तरावीह के फज़ाइल
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कुरआन की तिलावत: तरावीह में कुरआन-ए-पाक की तिलावत की जाती है, जो दिल को सुकून और रूह को तस्कीन देती है।
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जन्नत का वादा: हदीस के मुताबिक, जो शख्स ईमान और उम्मीद के साथ तरावीह पढ़ता है, उसके पिछले गुनाह माफ हो जाते हैं।
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फरिश्तों की दुआ: तरावीह पढ़ने वालों के लिए फरिश्ते दुआ करते हैं।
तरावीह की दुआ याद करने के टिप्स
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छोटे हिस्से में याद करें: दुआ को छोटे-छोटे हिस्सों में तक्सीम करके याद करें।
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रोज़ाना प्रैक्टिस: हर दिन तरावीह की दुआ को 5-10 दफा पढ़ें।
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तरजुमा समझें: जब आप इसका मतलब समझ लेंगे, तो याद करना और आसान हो जाएगा।
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ऑडियो क्लिप्स का इस्तेमाल: दुआ की ऑडियो क्लिप्स सुनकर याद करने की कोशिश करें।
तरावीह से जुड़े सवालात
1. क्या तरावीह फर्ज़ है? तरावीह एक नफ़ल इबादत है, फर्ज़ नहीं। लेकिन यह रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत है और इसे अदा करना बरकत का सबब है।
2. क्या औरतों के लिए तरावीह ज़रूरी है? औरतों के लिए तरावीह पढ़ना नफ्ल सुन्नत है। अगर घर में पढ़ें तो यह भी मक़बूल है।
3. क्या बच्चों को तरावीह में शामिल करना चाहिए? जी हां, लेकिन बच्चों की उम्र और सहूलत को मद्देनज़र रखें। उन्हें इबादत के माहौल से वाकिफ कराना ज़रूरी है।
नतीजा
तरावीह की दुआ एक अहम हिस्सा है जो रमज़ान की इबादत को मुकम्मल बनाता है। इस दुआ के जरिए हम अल्लाह की रहमत और मग़फिरत के तलबगार बनते हैं। हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है कि वह तरावीह की दुआ को समझकर, दिल से पढ़े और अपने रब के साथ अपने ताल्लुक को मजबूत करे।
अल्लाह हम सबको तरावीह की दुआ समझने और उस पर अमल करने की तौफीक अता करे। आमीन!